टिकैत गरजे, बादल बरसे : जल, जंगल, जमीन बचाने दिया एकजुटता का मंत्र, सरकार को चेतावनी 

Published by [email protected] on

Spread the love

कोरबा। छत्तीसगढ़ किसान सभा द्वारा आयोजित ‘विस्थापन पीड़ितों की संघर्ष सभा’ में कल रात गंगानगर में  टिकैत जमकर गरजे, बादल झूमकर बरसे। सभा में उपस्थित हजारों किसानों को उन्होंने विस्थापन के खिलाफ एकजुट संघर्ष करने का मंत्र दिया और कहा कि यदि केंद्र और राज्य की सरकारें जनता की आवाज नहीं सुनती, तो आंदोलनों की धमक से इन बहरी सरकारों को अपनी आवाज सुनाने के लिए देश की जनता तैयार है।

संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत अपने तय समय से चार घंटे देरी से इस सभा में पहुंचे, लेकिन रात 9 बजे भी उन्हें सुनने हजारों किसान जमा थे। स्वागत-सत्कार की संक्षिप्त औपचारिकता के बाद उन्होंने सीधे माइक थाम लिया। अपने आधे घंटे के संबोधन में उन्होंने इस इंतज़ार के लिए उपस्थित लोगों का आभार जताया और कहा कि यह भूमि-विस्थापन के खिलाफ आम जनता के लड़ाकूपन का प्रतीक है और इस लड़ाई में वे कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं, उनके साथ मिलकर लड़ेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि हसदेव हो या कोरबा या हो बस्तर, केंद्र और राज्य दोनों सरकारें मिलकर उद्योगपतियों को जमीन देना चाहती है और इसके लिए गरीबों से जमीन छीनना चाहती है। आज छत्तीसगढ़ में जमीन बचाने की लड़ाई ही सबसे बड़ी लड़ाई है और पूरे छत्तीसगढ़ में 22 जगहों पर आंदोलन चल रहे हैं। इस संघर्ष को सभी संगठनों की पहलकदमी से साझा मोर्चा बनाकर और मजबूत करना होगा। टिकैत ने कहा कि मजदूर-किसानों की एकजुटता का यही संदेश लेकर आज संयुक्त किसान मोर्चा के 40 नेता पूरे देश का दौरा कर रहे हैं और इसी उद्देश्य से वे छत्तीसगढ़ के प्रवास पर है। उन्होंने सरकार को चेतावनी दी कि किसान आंदोलनों से सरकार बातचीत करें या फिर उनके गुस्से का सामना करें।

स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के आधार पर सकल लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देने का कानून बनाने के लिए फिर से देशव्यापी संघर्ष छेड़े जाने की जानकारी देते हुए अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त सचिव बादल सरोज ने कहा कि देशव्यापी किसान आंदोलन ने सरकार के बर्बर दमन के बावजूद बिना डरे, बिना झुके संघर्ष की जो मशाल जलाई है, कोरबा के भू-विस्थापित उसे मजबूती से थामे हुए है और अपनी आजीविका और पुनर्वास की लड़ाई लड़ रहे हैं। इस लड़ाई को किसान सभा अंत तक लड़ेगी, जब तक अंतिम भू-विस्थापित को न्याय नहीं मिल जाता। उन्होंने कहा कि दुनिया के 115 पूंजीपतियों ने वैश्विक मंदी से निपटने के लिए उन पर टैक्स बढ़ाने की मांग अपनी सरकारों से की है, लेकिन हमारे देश की सरकार हर मिनट 2.5 करोड़ रुपये कॉरपोरेटों की तिजोरियों में भरने की नीतियां लागू कर रही है। उन्होंने कहा कि इस साल के बजट में खेती-किसानी से लेकर मनरेगा और खाद्यान्न, स्वास्थ्य, शिक्षा से लेकर सभी सामाजिक कल्याण कार्यों के बजट में भयंकर कटौती की गई है, लेकिन उन कॉरपोरेटों को टैक्स में छूट दे दी गई है, जो बैंक से लिये गए लाखों करोड़ रुपयों के कर्ज को हजम कर गए हैं। बादल ने कहा कि जिस तरह राम के अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को लव-कुश ने रोका था, उसी तरह इस सरकार की किसान विरोधी कानूनों को मजदूर और किसानों ने वापस लेने के लिए बाध्य किया है। उन्होंने कहा कि इस सरकार की कॉर्पोरेटपरस्त नीतियों को पलटकर ही इस देश का मजदूर और किसान दम लेगा और इस कड़ी में 5 अप्रैल को दिल्ली में मजदूर-किसान संघर्ष रैली के संसद पर आयोजित किये जाने की जानकारी दी।

छत्तीसगढ़ किसान सभा के कोरबा जिला अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर की अध्यक्षता में आयोजित इस सभा को राज्य सचिव संजय पराते और जिला सचिव प्रशांत झा ने भी संबोधित किया। उन्होंने एसईसीएल पर बड़े पैमाने पर जमीन की जमाखोरी करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि कोरबा जिले में जमीन से जुड़ी अलग-अलग तरह की समस्याएं हैं, लेकिन इसकी जड़ में सत्ता में बैठी हुई कांग्रेस-भाजपा ही है, जो विकास के नाम पर पूंजीपतियों के लिए गरीबों की जमीन छीन रहे हैं। इस काम में यहां के कलेक्टर और एसपी सत्ताधारी पार्टी के एजेंट के रूप में काम कर रहे हैं और किसी भी कानून-नियमों का पालन करने से इंकार कर रहे हैं। गरीबों से जबरदस्ती संपत्ति कर, बिजली बिल वसूले जाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि अब पीने का पानी बेचने की तैयारी हो रही है, लेकिन गरीबों का साफ एलान है कि खरीदकर पानी नहीं पीएंगे। इसके खिलाफ उन्होंने एक बड़ा आंदोलन खड़ा करने की भी उन्होंने घोषणा की।

इस संघर्ष सभा को सीटू नेता वी एम मनोहर तथा किसान सभा के स्थानीय नेताओं नंदलाल कंवर,  मानसिंह कंवर और भू-विस्थापित संघ के रेशम यादव, बलराम आदि ने भी संबोधित किया। मंच पर भूमि अधिकार आंदोलन से संबद्ध छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला, बीकेयू नेता राजवीर सिंह जादौन, प्रवीण श्योकंद, किसान सभा के राज्य सचिव ऋषि गुप्ता, आदिवासी एकता महासभा के बालसिंह,  माकपा पार्षद राजकुमारी कंवर, किसान सभा नेता देव कुंवर, जान कुंवर, कमला बाई, जय कौशिक, दीपक साहू तथा रोजगार एकता संघ के रेशम यादव आदि उपस्थित थे।


0 Comments

Leave a Reply

Avatar placeholder

Your email address will not be published.