सुराजी गांव योजना से वनांचल ग्रामीणों के परंपरागत व्यवसाय को मिला बढ़ावा

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सुराजी गांव योजना से वनांचल ग्रामीणों के परंपरागत व्यवसाय को मिला बढ़ावा
– आदिवासी बाहुल्य वनांचल की समूह की महिलाओं ने मुर्गीपालन कर ढाई लाख रूपए की अर्जित की आय
– गौठान में कर रही बकरीपालन, अण्डा उत्पादन के लिए बनायी कार्ययोजना


मोहला । राज्य शासन की महत्वपूर्ण सुराजी गांव योजना से वनांचल ग्रामीणों के परंपरागत व्यवसाय एवं आय में वृद्धि करने गांवों में गौठान निर्माण किया गया है। शासन द्वारा ग्रामीणों को परंपरागत व्यवसाय करने के लिए गौठानों में एक स्थायी जगह दी है, जिससे ग्रामीणों की आय में वृद्धि हुई है। जिले के आदिवासी बाहुल्य वनांचल क्षेत्र मोहला गौठान की माँ बम्लेश्वरी गंगा स्वसहायता समूह के सदस्यों द्वारा 1 हजार नग के आधार पर मुर्गीपालन करते हुए अब तक कुल 2 लाख 50 हजार रूपए की आय अर्जित की गई है। 
जिले का मोहला विकासखंड आदिवासी बाहुल्य वनांचल क्षेत्र है। जहां गरीब परिवार की आय का एक छोटा हिस्सा मुर्गीपालन होता है। ये परिवार घर की बाड़ी में छोटे से हिस्से में मुर्गी पालकर स्वयं के खाने एवं कुछ आय अर्जित करते आ रहे थे, लेकिन इसे व्यापक रूप से करने के लिए उनके पास कभी पर्याप्त जगह, शेड, राशि, जानकारी नहीं होती थी। छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी सुराजी गांव योजना के आने से उनके सपने सच होने लगे। राज्य शासन द्वारा सर्वसुविधायुक्त मुर्गी शेड बनने से मोहला गौठान की माँ बम्लेश्वरी गंगा स्वसहायता समूह के सदस्यों द्वारा एक हजार नग मुर्गीपालन करते हुए अब तक कुल ढाई लाख रूपए की आय अर्जित की है। समूह के सदस्य अपनी गतिविधि से बहुत ज्यादा खुश है और इसके आलावा इनके द्वारा बकरीपालन का कार्य भी किया जा रहा है और भविष्य में अण्डे का उत्पादन करने के लिए कार्ययोजना बना रहे हैं।  


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