राजिम में छत्तीसगढ़ी भाषा पर साहित्यिक संगोष्ठी हुई, विद्वानों ने रखे अपने विचार

Published by Viyarsee RJ on

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स्थानीय गायत्री मंदिर परिसर में रत्नांचल जिला साहित्य परिषद के तत्वावधान एक दिवसीय साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन हुआ। शुभारंभ मां सरस्वती की पूजन अर्चना के साथ किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार दिनेश चौहान ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की घोषणा का स्वागत करते हैं। प्रदेश के मुखिया ने 15 अगस्त को घोषणा की थी कि अगले सत्र से छत्तीसगढ़ी में पांचवीं कक्षा तक अलग विषय के रूप में पढ़ाई जाएगी वैसे ही इसे कक्षा दसवीं तक अनिवार्य इसी सत्र से ही करना था।

छत्तीसगढ़ी को अनिवार्य विषय बनाएं जाने की मांग के लिए हम सबको एकजुट होना चाहिए। अध्यक्ष शायर जितेंद्र सुकुमार साहिर ने कहा कि परिषद के द्वारा सप्ताह के सातों दिन अलग-अलग विषय पर कवि कलम चलाते हैं। गरियाबंद जिले में कविता की लगातार अलखा जाग रही है, जिसके माध्यम से देश-विदेश में परिषद के रचनाकारों की रचनाएं स्थान पा रही है। आगे पत्रिका प्रकाशन की योजना है, जिसमें प्रत्येक रचनाकारों की छत्तीसगढ़ी में लिखी रचना को प्रमुखता से स्थान दिया जायेगा। विशिष्ट अतिथि नूतन साहू ने अपनी कविता के माध्यम से छत्तीसगढ़ी भाषा को राजकाज की भाषा बनाने वकालत की। छत्तीसगढ़ी भाषा पर अपनी बात रखते हुए वक्ता संतोष कुमार सोनकर मंडल ने कहा कि भारतीय संविधान के आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएं मान्यता प्राप्त हैं पहले 14 भाषएं थी बाद में चार भाषा और सम्मिलित हुईं और इस तरह से 18 हो गईं।

संशोधन करते हुए चार भाषा और जोड़े गए और अब 22 राजभाषा हो गई हैं। सन 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य बना। सन 2007 में प्रदेश सरकार द्वारा राजभाषा का दर्जा दिया गया तब से लेकर भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज होने के लिए छत्तीसगढ़ी खड़ी हुई है। यहां की करोड़ों जनता की भाषा छत्तीसगढ़ी में सबसे ज्यादा मिठास देखी जाती है। छत्तीसगढ़ी को आठवीं अनुसूची में राजभाषा के रूप में दर्जा मिलने के बाद न सिर्फ कवि व साहित्यकार बाल्कि पूरे प्रदेश का मान बढ़ेगा।

जतमईगढ़ गरियाबंद के लेखक भोजराम साहू ने कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा के लिए संपूर्ण योग्यता पूर्ण करता है यह प्रदेश की संपूर्ण क्षेत्र में बहुत आयत बोली जाती है। सबसे पहले हर छत्तीसगढ़ वासी को अपनी भाषा पर गर्व करना चाहिए और राजभाषा की काम को समझे तभी हमें सही आजादी मिलेगी राजभाषा के रूप में छत्तीसगढ़ी आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाए। इस अवसर पर कवि व साहित्यकारों को पेन एवं श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रदीप साहू कुंवरदादा ने किया। प्रमुख रूप से परिषद के महासचिव फनेंद्र मोदी, विजय सिन्हा बारूका, छंदकार संतोष साहू छुरा, भोले साहू इत्यादि की प्रमुख रूप से उपस्थित थे।


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